सेंटर फॉर लेबर रिसर्च एंड एक्शन (सीएलआरए) एक जमीनी संगठन है जो पिछले 18 वर्ष से भारत के असंगठित क्षेत्र में कार्यरत प्रवासी मजदूरों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। सीएलआरए देश के सबसे वंचित श्रमिकों के सामने आने वाली प्रणालीगत चुनौतियों को संबोधित करता है, जिसमें अन्यायपूर्ण मजदूरी, असुरक्षित कार्य परिस्थितियाँ और कानूनी और सामाजिक सुरक्षा का आभाव शामिल हैं। श्रमिक संगठनों, शोध और पैरवी के माध्यम से सीएलआरए सार्थक बदलाव लाने का प्रयास करता रहा है ताकि प्रवासी मजदूर और उनके परिवार अपने स्रोत और गंतव्य दोनों स्थानों पर गरिमा के साथ जीवन यापन और कार्य कर सकें।
न्यूनतम अपडेट्स
ज़मीनी आवाज़ें
गुड़ की छाया: गन्ने के खेतों में बचपन
– रोहित चौहान, गुजरात फरवरी महीने में हमें पुणे के बारामती में गन्ना श्रमिकों के पड़ावों में जाने का मौका…
क्या लोकतंत्र का चुनावी उत्सव ज़मीनी स्तर पर बस मजाक बनकर रह गया है?
– रोहित चौहान, गुजरात छोटा उदयपुर (गुजरात), मूल रूप से जंगलों, पहाड़ों और नदियों वाला एक आदिवासी क्षेत्र है, यहाँ…
राजस्थान के ईंट भट्ठा मज़दूरों के मुश्किल हालात
पुखराज रावत, राजस्थान प्रदेश ईंट भट्टा मजदूर यूनियन राजस्थान में लगभग 4 हज़ार से अधिक चिमनी ईंट भट्ठे संचालित हैं…
एक हाथ के बिना भरत को कौन देगा काम? और कौन है इसका ज़िम्मेदार?
– भरत लक्ष्मण पटेला की कहानी, रोहित चौहान के शब्दों में: ये फोटो मेरी है। आप सोच रहे होंगे की…
अपने वतन से दूर मज़दूरों के मुद्दे चुनावी मुद्दे क्यों नहीं बनते?
– शैतान रेगर, राजस्थान प्रदेश ईंट भट्टा मजदूर यूनियन भारत में लोकतंत्र को 74 वर्ष पूरे हो चुके हैं व…
बंधुआ मजदूरी का जीवन जीने को मजबूर हैं ईंट भट्ठा मजदूर
– शैतान रेगर, राजस्थान प्रदेश ईंट भट्टा मजदूर यूनियन देश की आजादी को सात दशक बीत जाने के बाद भी…